ADAS (Advanced Driver Assistance Systems)

ADAS (Advanced Driver Assistance Systems)

क्या है आधुनिक गाड़ियों में आने वाला ADAS सिस्टम ?

ADAS (Advanced Driver Assistance Systems) एक आधुनिक तकनीक है जो कार ड्राइविंग को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह तकनीक विभिन्न सेंसर, कैमरा, रडार(RADAR) और सॉफ़्टवेयर का उपयोग करती है ताकि Driver को ड्राइविंग के दौरान मदद मिल सके और दुर्घटनाओं को रोका जा सके।


1. परिचय (Introduction)

ADAS का उद्देश्य सड़क पर चालक और अन्य यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह सिस्टम ड्राइवर को संभावित खतरों के बारे में अलर्ट करता है और कुछ स्थितियों में स्वचालित(Automatic) रूप से प्रतिक्रिया देता है। यह प्रणाली जैसे कि

लेन डिपार्चर वार्निंग(LDW)

ऑटोमैटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग(AEB)

अडैप्टिव क्रूज़ कंट्रोल(ACC) और

ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन(BSD) जैसी तकनीकों को शामिल करती है।

 Image courtesy: Logic Fruit technologies

2. इतिहास (History)

ADAS का विकास 1950 और 1960 के दशक में शुरू हुआ, जब वाहन निर्माताओं ने सबसे पहले क्रूज़ कंट्रोल और एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) जैसी तकनीकों का विकास किया।

  • 1990 का दशक: एडवांस्ड सेफ्टी फीचर्स जैसे एअरबैग और ट्रैक्शन कंट्रोल जोड़े गए।
  • 2000 का दशक: कैमरा और सेंसर बेस्ड सिस्टम का विकास हुआ, जिससे ऑटोमैटिक ब्रेकिंग और लेन असिस्ट जैसे फीचर्स आए।
  • वर्तमान: आधुनिक ADAS सिस्टम अब AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।

3. यह कैसे काम करता है? (How it Works)

 Image courtesy: Robotics and Automation News

ADAS सेंसर और सॉफ़्टवेयर के माध्यम से काम करता है।

  1. सेंसर और कैमरा(Sensor and Camera): ये वाहन के चारों ओर स्थित होते हैं और सड़क की स्थिति, वाहन की गति, और अन्य वाहनों की गतिविधियों को ट्रैक करते हैं।
  2. रडार(RADAR): यह लंबी दूरी तक ऑब्जेक्ट्स को डिटेक्ट करता है, जैसे आगे चलने वाले वाहन या किसी रुकावट को।
  3. सॉफ़्टवेयर(Software): डाटा(सूचना ) को प्रोसेस करता है और आवश्यक निर्णय लेता है, जैसे ऑटोमैटिक ब्रेकिंग या चालक को अलर्ट देना।
  4. एक्चुएटर्स (Actuators): यह सिस्टम वाहन के ब्रेक, स्टीयरिंग, और एक्सेलेरेशन को नियंत्रित करता है।

उदाहरण:

  • यदि गाड़ी किसी अन्य वाहन के बहुत करीब जाती है, तो सिस्टम स्वचालित(Automatic) रूप से ब्रेक लगा सकता है।
  • लेन डिपार्चर वार्निंग (LDW)फीचर ड्राइवर को सड़क पर सही लेन में बने रहने के लिए चेतावनी देता है।

4. फायदे (Pros)

  1. सुरक्षा में सुधार: दुर्घटनाओं को कम करता है।
  2. ड्राइविंग में आसानी: ड्राइवर को थकावट कम होती है।
  3. ट्रैफिक में मदद: अडैप्टिव क्रूज़ कंट्रोल से ट्रैफिक में वाहन को नियंत्रित करना आसान होता है।
  4. रिस्पॉन्स टाइम: इंसानों की तुलना में सिस्टम अधिक तेज़ी से प्रतिक्रिया करता है।

5. नुकसान (Cons)

  1. महंगा: यह तकनीक वाहन की कीमत बढ़ाती है।
  2. निर्भरता: ड्राइवर इस पर अत्यधिक निर्भर हो सकते हैं, जिससे उनकी ड्राइविंग स्किल्स कमजोर हो सकती हैं।
  3. सेंसर की सीमाएं: खराब मौसम में सेंसर सही तरीके से काम नहीं कर सकते।
  4. तकनीकी समस्याएं: सॉफ़्टवेयर या हार्डवेयर में खराबी होने पर यह सिस्टम विफल हो सकता है।

6. भारत में ADAS का उपयोग (ADAS in India)

भारत में ADAS का उपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है। नई हाई-एंड कारों में यह तकनीक उपलब्ध है, जैसे Hyundai Tucson, MG Gloster, और Mahindra Thar Roxx , Tata Safari । हालांकि, यह मुख्यतः प्रीमियम सेगमेंट में है। बढ़ती जागरूकता और टेक्नोलॉजी की कीमत में कमी से भविष्य में यह अधिक कारों में देखा जाएगा।


7. निष्कर्ष (Conclusion)

ADAS भविष्य की ड्राइविंग तकनीक है, जो सड़क सुरक्षा में क्रांति ला सकती है। हालांकि इसके लाभ बहुत बड़े हैं, लेकिन इसे सही तरीके से अपनाने और ड्राइवरों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। जैसे-जैसे तकनीक सस्ती होगी, यह बड़े पैमाने पर उपयोग में लाई जा सकेगी।

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